Saturday, October 30, 2021


पलकें हैं भींगी और आँखें है नम||


होटों पे खुशी और दिल मे है गम |

यूँ तो हर किसी को खुशियाँ बांटने का प्रयत्न करता हूँ|

पर अक्सर अकेले मे उदास रहते है हम।

पलकें है भींगी और आँखे हैं नम||


न कोई गुल है न गुलशन है मेरा,

माँ-बाप ही तो गगन है मेरा ,

पर अक्सर उनसे दूर रहकर गमगीन है हम।

पलकें हैं भींगी और आँखे हैं नम।


No comments:

Post a Comment

 बनाकर हर परिंदे को उड़ने के काबिल, घोंसला अक्सर विरान रहा जाता है | है नियति का खेल सब, विधि का है मेल सब | जीवन का यह जो धारा है, उड़े बिना ...