हर दर्द मुस्कुरा कर पी रहा हूँ,
न जाने कौन सी दुनिया में जी रहा हूँ |
पलट कर देखा इतिहास के पन्नों को मैने,
ये ज़हर नायाब है जो मै पी रहा हूँ |
शौक था कलम रखने की जेब में मगर,
वक़्त के साथ रेत की फटी चादर को सी रहा हूँ|
✍️आशीष कुमार सत्यार्थी
न जाने कौन सी दुनिया में जी रहा हूँ |
पलट कर देखा इतिहास के पन्नों को मैने,
ये ज़हर नायाब है जो मै पी रहा हूँ |
शौक था कलम रखने की जेब में मगर,
वक़्त के साथ रेत की फटी चादर को सी रहा हूँ|
✍️आशीष कुमार सत्यार्थी
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