Wednesday, May 6, 2020



 दबे हुए दर्द को दिल से निकालेगा|
अंगूठे से अपना सिक्का उछालेगा|
जिसको पीने के बाद लोग लड़खड़ा जाते हैं |
वो शराब अब अर्थव्यवस्था संभालेगा |

✍️आशीष कुमार सत्यार्थी 

Friday, May 1, 2020

पागल 
(1)
नफ़रत हो गई है इस दुनिया से, 
इसलिए अलग दुनिया बसा रखा है मैने |
लोग तो बेवजह पागल समझ रहे हैं मुझे, 
ये तो अपना रूप सजा रखा है मैने |
(2)
न इश्क है मुझे अमीरी से, 
न फ़िक्र है मुझे गरीबी की |
ग़म-ख़ुशी, आँसू -हंसी से दूर, 
आशियाना बना रखा है मैने |
इसलिए अलग दुनिया बसा रखा है मैने|
(3)
हंसो खूब मेरी बेवक़ूफ़ियत पर, 
पर रो पड़ोगे जग की असलियत पर |
ये जो वादे, भरोसा, उम्मीद है न, 
इन सब को आज़मा रखा है मैने |
इसलिए अलग दुनिया बसा रखा है मैने |

✍️आशीष कुमार सत्यार्थी 

 बनाकर हर परिंदे को उड़ने के काबिल, घोंसला अक्सर विरान रहा जाता है | है नियति का खेल सब, विधि का है मेल सब | जीवन का यह जो धारा है, उड़े बिना ...