शहर गाँव हर गली गली में, आतंक का आसन है |
पूछ रहा है पूरा बिहार, ये कैसा सुशासन है?
चोरी, हत्या बलात्कार अब आम बनी हर गाँव में |
टूट चुकी है सारी सड़कें, कील चुभ रही पांव में |
विकास के नाम पर अब, सिर्फ नेताओं का भाषण है |
पूछ रहा है पूरा बिहार, ये कैसा सुशासन है?
शिक्षा डूबा, चिकित्सा डूबा, डूब गया रोजगार है |
निजीकरण का धूम मचा है, युवा बेरोजगार है |
महंगाई से झुलस रहे सब, त्राहिमाम जनजीवन है |
पूछ रहा है पूरा बिहार, ये कैसा सुशासन है?
किसान रो रहे, युवा रो रहा , रो रहे सब कर्मचारी है |
धरना, अनसन आत्महत्या, करना एक लाचारी है |
तानाशाही के नींव पर ही, टिका हुआ सिंहासन है |
पूछ रहा है पूरा बिहार, ये कैसा सुशासन है?
✍️आशीष कुमार सत्यार्थी
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