Sunday, March 8, 2020

मुकद्दर की बात न पूछो मुझसे, 
 आंसुओं में कश्ती बह गई|

शाख से कुछ पत्ते क्या मांग लिया हमने, 
 आशियाना संजोने को, 
 हवाएं वह भी उड़ा ले गई|

✍️आशीष कुमार सत्यार्थी 

No comments:

Post a Comment

  उठा है जो तूफ़ाँ तो फ़िर आसमां तलक जायेगा | ऊँची पहाड़ी पर चढ़ कर फ़िर उस ढलान तलक जायेगा | पथरीला रास्ता है और सफर बहुत लम्बा है | सोच कर बता ...