Thursday, September 3, 2020

             (1)

वनवास ख़त्म हे राम अब 

युद्ध करने का पल आया है |

हर जगह पर रावण फैला है, 

वध करने का पल आया है |

            (2)

छलियों, बहुरूपियों के, 

पहचान न पाते वेश को |

कोई नोचता बहन बेटी को, 

कोई नोचता देश को |

               (3)

 कुकर्म कर वर्चस्व बनाता, 

ये कैसा कल आया है? 

वनवास ख़त्म हे राम अब, 

युद्ध करने का पल आया है |

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