(1)
वनवास ख़त्म हे राम अब
युद्ध करने का पल आया है |
हर जगह पर रावण फैला है,
वध करने का पल आया है |
(2)
छलियों, बहुरूपियों के,
पहचान न पाते वेश को |
कोई नोचता बहन बेटी को,
कोई नोचता देश को |
(3)
कुकर्म कर वर्चस्व बनाता,
ये कैसा कल आया है?
वनवास ख़त्म हे राम अब,
युद्ध करने का पल आया है |
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