Thursday, April 9, 2020
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उठा है जो तूफ़ाँ तो फ़िर आसमां तलक जायेगा | ऊँची पहाड़ी पर चढ़ कर फ़िर उस ढलान तलक जायेगा | पथरीला रास्ता है और सफर बहुत लम्बा है | सोच कर बता ...
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पनघट पे, खेतों में, पेड़ों की छाँव में | सुना है भारत माता कहीं बसती है गाँव में | कुट्टी और सानी में, पोखर के पानी में | महुआ के फूलों की ख...
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पागल (1) नफ़रत हो गई है इस दुनिया से, इसलिए अलग दुनिया बसा रखा है मैने | लोग तो बेवजह पागल समझ रहे हैं मुझे, ये तो अपना रूप...
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हर दर्द मुस्कुरा कर पी रहा हूँ, न जाने कौन सी दुनिया में जी रहा हूँ | पलट कर देखा इतिहास के पन्नों को मैने, ये ज़हर नायाब है जो मै पी रहा...