कभी जूता कभी चप्पल कभी सैंडल का मार खाता हूँ |
सह कर हजारों गम सबको मंजिल तक पहुंचता हूँ |
लिख दो मेरी पहचान, मै फुटपाथ कहलाता हूँ |
किसी ने मेरे ऊपर कुछ दुकान सजाया है |
कुछ बेघरों ने मुझे आशियाना बनाया है |
गिर जाए कोई सड़क पर उसको खुद पे बिठाता हूँ |
लिख दो मेरी पहचान, मै फुटपाथ कहलाता हूँ |
कहने को तो हमेशा मै व्यस्त कहलाता हूँ |
खुद के मन की बात अक्सर खुद को ही सुनाता हूँ |
खभी ईंटो कभी पत्थर कभी बालू सा बिखर जाता हूँ |
लिख दो मेरी पहचान, मै फुटपाथ कहलाता हूँ |
✍️आशीष कुमार सत्यार्थी